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Monday, 31 July 2017

भोजपुरी गाने पर शाहरुख़ खान ने अनुष्का संग किया वाराणसी में परफोर्मेंसबनारस। अपनी आने वाली फिल्म ” जब हैरी मेट सेजल” के प्रमोशन के लिए पहुंचे शाहरुख़ खान ने अनुष्का शर्मा के साथ मनोज तिवारी के ब्लाकबस्टर भोजपुरी “गाने लगावे लू जब लिपस्टिक, हिले ला काशी डिस्टिक” अनुष्का शर्मा के साथ परफार्म किया। यह आवाज़ दर्शकों के बीच से आई थी की शाहरुख़ मनोज भैया के इस गाने पर परफोर्मेंस करें।

बनारस। अपनी आने वाली फिल्म ” जब हैरी मेट सेजल” के प्रमोशन के लिए पहुंचे शाहरुख़ खान ने अनुष्का शर्मा के साथ मनोज तिवारी के ब्लाकबस्टर भोजपुरी “गाने लगावे लू जब लिपस्टिक, हिले ला काशी डिस्टिक” अनुष्का शर्मा के साथ परफार्म  किया। यह आवाज़ दर्शकों के बीच से आई थी की शाहरुख़ मनोज भैया के इस गाने पर परफोर्मेंस करें।
शाहरुख़ ने डिफिकल्ट भोजपुरी शब्दों को मनोज तिवारी के साथ साथ दोहराया और अपने घुटनों पर बैठकर अनुष्का शर्मा का हाथ पकड़ कर इस गाने को धरातल पर उतारा। फिल्म प्रमोशन पर मौजूद हज़ारों की भीड़ ने अनुष्का और शाहरुख़ के इस परफोर्मेंस काताली बजाकर अभिनन्दन किया।

शाहरुख खान फिल्म प्रमोशन के लिए पहुंचे बनारस, अशोका इंस्टीट्यूट में करेंगे छात्रों से मुलाक़ात


बनारस। जवां दिलों की धड़कन और ऑन स्क्रीन रोमांस के बादशाह बालीवुड के किंग खान यानी शाहरुख़ खांन सोमवार को बनारस अपने पहले प्रवास पर पहुंचे। वो यहां अपनी नई आने वाली फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ का प्रमोशन करने के लिए पहुंचे हैं। उनके साथ फिल्म की हेरोइन अनुष्का शर्मा और निर्देशक इम्तियाज़ अली भी पहुंचे हैं। बालीवुड के ये दोनों नामचीन सितारे निर्देशक इम्तियाज़ अली के साथ दोपहर बाद शहर के अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढने वाले छात्रों से अपनी फिल्म और अपने अनुभव को साझा करेंगे।



बालीवुड के किंग खान यानी आने वाली फिल्म ‘ जब हैरी मेट सेजल’ के हैरी आज बनारस पहली बार पहुंचे तो एयरपोर्ट पर उनके चाहने वालों ने उन्हें देखकर चिल्लाना शुरू कर दिया। उनके साथ उनकी फिल्म की हेरोइन अनुष्का शर्मा भी मौजूद रही। ब्लू टीशर्ट में बालीवुड खान कूल दिखाई दे रहे थे। उनके साथ उनके बॉडीगार्ड रवि भी दिखाई दिए। जो उनके साथ हमेशा रहते हैं। उनके आने की खबर से उनके प्रशंसकों में एक गज़ब की लहर दौड़ रही है।
शाहरुख खान के आगमन के मद्देनज़र जिला प्रशासन के साथ साथ अशोका इंस्टीट्यूट ने तैयारी कर रखी। उनकी सुरक्षा के लिए कालेज की तरफ से 150 बाउंसर मुहैया कराये गये हैं और शाहरुख खान के सिक्योरिटी प्रोवाइडर की तरफ से 20 बाउंसर रविवार को ही अशोका इंस्टीट्यूट में डेरा डाल चुके हैं।
इस समय शाहरुख खान होटल गेटवे ताज में हैं और शहर में चिलचिलाती धुप के बावजूद उनके प्रशंसक उनकी एक झलक पाने के लिए होटल के बाहर खड़े हैं।

Sunday, 30 July 2017

BHU में आरक्षण को रखा जा रहा है ताक पर ,सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस।


 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के संरक्षण में आरक्षण खत्म करने की कवायद जारी है। ओबीसी-एससी-एसटी के पदों को खत्म किया जा रहा है। इस संविधान विरोधी रवैये के विरोध में विश्वविद्यालय के ही शिक्षक प्रो. लालचन्द प्रसाद, प्रो. महेश प्रसाद अहिरवार एवं प्रो. जे. बी. कुमरैया सुप्रीम कोर्ट की शऱण में गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केन्द्र सरकार, MHRD, UGC एवं बीएचयू प्रशासन को नोटिस जारी किया है।

आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल 2017 के अपने एक पक्षीय फैसले में बीएचयू के विज्ञापन संख्या 02/2016-17 को रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं विभागवार/विषयवार आरक्षण लागू करते हुए नये सिरे से विज्ञापन संख्या- 01/2017-18 जारी करने का फैसला दिया था। जिसके कारण पूर्व में अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षित सभी पद सामान्य श्रेणी में विज्ञापित कर दिए गए हैं।

नये विज्ञापन में आरक्षण नियमों का खुला उल्लंघन हुआ है और पिछड़े तथा वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व लगभग समाप्त कर दिया गया है। यद्यपि कोर्ट ने यूजीसी एवं केन्द्र सरकार को इस सन्दर्भ में नये सिरे से दिशा निर्देश जारी करने का निर्देश भी दिया था लेकिन बीएचयू प्रशासन ने बिना किसी गाइडलाइन के नया विज्ञापन जारी कर दिया।
इस विज्ञापन के विरुद्ध प्रो. लालचन्द प्रसाद, प्रो. महेश प्रसाद अहिरवार एवं प्रो. जे. बी. कुमरैया के नेतृत्व में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति, जनजाति के वरिष्ठ शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल ने कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी से मिलकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं थीं। इस पर कोई कार्रवाई न होते देख वंचित वर्ग के शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का निश्चय किया।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन के मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नये विज्ञापन निकालने के पहले रिजर्वेशन रोस्टर को सार्वजनिक नहीं किया और न ही विवि के अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ द्वारा ध्यानाकर्षित की गई लगभग तीन दर्जन आपत्तियों का निष्पादन किया। विवि प्रशासन की तानाशाही और इलाहाबाद हाईकोर्ट के पक्षपात एवं पिछड़ा वर्ग विरोधी फैसले के विरुद्ध बीएचयू के जागरूक अध्यापकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
स्वीकृत पद – 1139
नियुक्तियां- 884 खाली- 255
भरे पदों की स्थिति-
General- 608,
OBC- 102, SC- 126, ST- 48
एसोसिएसट प्रोफेसर-
स्वीकृत पद- 528
भरे पद- 337 खाली- 191
भरे पदों की स्थिति
General- *323*
OBC- *Nil*
SC- *13*
ST- 01
प्रोफेसर-
स्वीकृत पद- 253
भरे हुए पद- 137 खाली पद- 116
भरे हुए पदों की स्थिति-
General- 135
OBC- Nil
SC- 02
ST- 00

प्राप्त जानकारी के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर में 53.38 प्रतिशत , एसोसिएट प्रोफेसर में 63.06 फीसदी  और प्रोफेसर में 53.35 सामान्य वर्ग के लोग पहले से मौजूद हैं। यानि की जब सामान्य वर्ग की सीट पहले से फुल हैं तो ये बीएचयू के प्रशासन ने नई नियुक्तियों में सामान्य वर्ग की सीट ही क्यों निकाली।
प्रो. एमपी अहिरवार कहते हैं कि नई नियुक्तियों के आधार पर ओबीसी-एससी-एसटी की सीटें ही निकाली जानी चाहिए थी। ये खाली सीटें हमारा अधिकार है इसे हम कोई गलत तरीके से नहीं मांग रहे हैं ये संविधान प्रदत्त अधिकार है जिसके आधार पर ही समाज में समानता आएगी। इसलिए ये लड़ाई हम सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं।

मेडिकल साइंस संस्थान बीएचयू में जूनियर रेजिडेंट एवं सीनियर रेजिडेंट के क्रमशः 22 एवं 67 पदों में SC,ST-OBC प्रतिनिधित्व समाप्त कर दिया गया है। बीएचयू प्रशासन द्वारा दिए गए विज्ञापन में जूनियर रेजिडेंट के सभी 22 पद सामान्य वर्ग के लिए सुरक्षित कर दिये गए हैं जबकि इनमें OBC को 6, SC के 4 और ST के 2 पद होने चाहिये थे।
इसी तरह सीनियर रेजीडेंट के कुल 67 पदों में OBC के लिए नाममात्र को 7 और SC के लिए केवल 2 पद आरक्षित किये गए हैं जबकि ST के लिए कोई भी पद आरक्षित नहीं है। 67 पदों में से OBC को 18, SC को 10 और ST को 5 पद मिलने चाहिए थे।

#BhuBuzz

एक महान बनारसी को उनके जन्मदिन पर नमन।





प्रेमचंद के फटे जूते- परसाई जी

#प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियाँ उभर आई हैं, पर घनी मूँछें चेहरे को भरा-भरा बतलाती हैं।

पाँवों में केनवस के जूते हैं, जिनके बंद बेतरतीब बँधे हैं। लापरवाही से उपयोग करने पर बंद के सिरों पर की लोहे की पतरी निकल जाती है और छेदों में बंद डालने में परेशानी होती है। तब बंद कैसे भी कस लिए जाते हैं।

दाहिने पाँव का जूता ठीक है, मगर बाएँ जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।

मेरी दृष्टि इस जूते पर अटक गई है। सोचता हूँ—फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी—इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है।

मैं चेहरे की तरफ़ देखता हूँ। क्या तुम्हें मालूम है, मेरे साहित्यिक पुरखे कि तुम्हारा जूता फट गया है और अँगुली बाहर दिख रही है? क्या तुम्हें इसका ज़रा भी अहसास नहीं है? ज़रा लज्जा, संकोच या झेंप नहीं है? क्या तुम इतना भी नहीं जानते कि धोती को थोड़ा नीचे खींच लेने से अँगुली ढक सकती है? मगर फिर भी तुम्हारे चेहरे पर बड़ी बेपरवाही, बड़ा विश्वास है! फोटोग्राफर ने जब ‘रेडी-प्लीज़’ कहा होगा, तब परंपरा के अनुसार तुमने मुसकान लाने की कोशिश की होगी, दर्द के गहरे कुएँ के तल में कहीं पड़ी मुसकान को धीरे-धीरे खींचकर उपर निकाल रहे होंगे कि बीच में ही ‘क्लिक’ करके फोटोग्राफर ने ‘थैंक यू’ कह दिया होगा। विचित्र है यह अधूरी मुसकान। यह मुसकान नहीं, इसमें उपहास है, व्यंग्य है!

यह कैसा आदमी है, जो खुद तो फटे जूते पहने फोटो खिचा रहा है, पर किसी पर हँस भी रहा है!

फोटो ही खिचाना था, तो ठीक जूते पहन लेते, या न खिचाते। फोटो न खिचाने से क्या बिगड़ता था। शायद पत्नी का आग्रह रहा हो और तुम, ‘अच्छा, चल भई’ कहकर बैठ गए होंगे। मगर यह कितनी बड़ी ‘ट्रेजडी’ है कि आदमी के पास फोटो खिचाने को भी जूता न हो। मैं तुम्हारी यह फोटो देखते-देखते, तुम्हारे क्लेश को अपने भीतर महसूस करके जैसे रो पड़ना चाहता हूँ, मगर तुम्हारी आँखों का यह तीखा दर्द भरा व्यंग्य मुझे एकदम रोक देता है।

तुम फोटो का महत्व नहीं समझते। समझते होते, तो किसी से फोटो खिचाने के लिए जूते माँग लेते। लोग तो माँगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं। और माँगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिचाने के लिए तो बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नहीं बने! तुम फोटो का महत्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है!

टोपी आठ आने में मिल जाती है और जूते उस ज़माने में भी पाँच रुपये से कम में क्या मिलते होंगे। जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। तुम भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे। यह विडंबना मुझे इतनी तीव्रता से पहले कभी नहीं चुभी, जितनी आज चुभ रही है, जब मैं तुम्हारा फटा जूता देख रहा हूँ। तुम महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, जाने क्या-क्या कहलाते थे, मगर फोटो में भी तुम्हारा जूता फटा हुआ है!

मेरा जूता भी कोई अच्छा नहीं है। यों उपर से अच्छा दिखता है। अँगुली बाहर नहीं निकलती, पर अँगूठे के नीचे तला फट गया है। अँगूठा ज़मीन से घिसता है और पैनी मिट्टी पर कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है। पूरा तला गिर जाएगा, पूरा पंजा छिल जाएगा, मगर अँगुली बाहर नहीं दिखेगी। तुम्हारी अँगुली दिखती है, पर पाँव सुरक्षित है। मेरी अँगुली ढँकी है, पर पंजा नीचे घिस रहा है। तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं!

तुम फटा जूता बड़े ठाठ से पहने हो! मैं ऐसे नहीं पहन सकता। फोटो तो ज़िंदगी भर इस तरह नहीं खिचाउँ, चाहे कोई जीवनी बिना फोटो के ही छाप दे।

तुम्हारी यह व्यंग्य-मुसकान मेरे हौसले पस्त कर देती है। क्या मतलब है इसका? कौन सी मुसकान है यह?

—क्या होरी का गोदान हो गया?

—क्या पूस की रात में नीलगाय हलकू का खेत चर गई?

—क्या सुजान भगत का लड़का मर गया; क्योंकि डॉक्टर क्लब छोड़कर नहीं आ सकते?

नहीं, मुझे लगता है माधो औरत के कफ़न के चंदे की शराब पी गया। वही मुसकान मालूम होती है।

मैं तुम्हारा जूता फिर देखता हूँ। कैसे फट गया यह, मेरी जनता के लेखक?

क्या बहुत चक्कर काटते रहे?

क्या बनिये के तगादे से बचने के लिए मील-दो मील का चक्कर लगाकर घर लौटते रहे?

चक्कर लगाने से जूता फटता नहीं है, घिस जाता है। कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर सीकरी जाने-आने में

Tuesday, 25 July 2017

भेलूपुर पुलिस ने पकडे नाबालिग सहित चार बाईक चोर, चोरी की चार बाईक बरामद


बनारस। जनपद में बढ़ रहे अपराध पर नियंत्रण लगाने के लिए किये जा रहे वाहन चेकिंग अभियान के अंतर्गत भेलुपूर पुलिस को एक बड़ी सफलता तब हाथ लगी जब महमूरगंज क्षेत्र से वाहन चोरी गिरोह के चार सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया। जिसमें एक अभियुक्त नाबालिग है।पकड़ा गया नाबालिग अभियुक्त पहले चाय की दूकान पर काम करता था। पकडे गये चोरों के पास से चार मोटरसाइकिल और एक स्कूटी बरामद हुई है। फिलहाल सभी को सम्बंधित धारा में जेल भेजा दिया गया है।

वाहन चेकिंग में पकडाए शातिर बाईक चोर

घटना का अनावरण करते हुए एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि कई दिनों से जनपद में वाहन चोरी की घटनाएं बढ़ सी गयी हैं। जिसपर अंकुश लगाने के लिए सभी थानों को एलर्ट किया गया है। इसी क्रम में वाहन चेकिंग के दौरान मुखबिर की सूचना पर भेलूपुर पुलिस ने महमूरगंज में चेकिंग के दौरान मोटरसाइकिल चोरी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। जिनके बताये स्थान से चार मोटरसाइकिल सहित एक स्कूटी बरामद की है।



मास्टर की से चुराते थे गाड़ियां

गिरफ्तार अभियुक्तगण आशुतोष सिंह,अजय पाल, सौरभ मिर्जापुर निवासी व रंजन हरिजन मिर्जामुराद के रहने वाले हैं और काफी शातिर तरीके से मास्टर की के ज़रिये गाड़ियों का लाक खोलकर उन्हें चुरा लेते थे। उसके बाद उनकी नंबर प्लेट और कुछ गाड़ियों का चेसिस नंबर भी बदल कर उन्हें बेच देते थे।



चाय की दूकान पर काम करने वाला बना शातिर चोर

पकडे गये अभियुक्तों में एक अभी नाबालिग है। जिसे बाल सुधार गृह भेजा गया है। एसपी सिटी के अनुसार युवक पहले चाय की दूकान पर काम करता था बाद में अपराधियों के टाच में आकर वह भी शातिर चोर बन गया और बाईक चोरी करने लगा। उन्होंने बताया कि इस गिरोह के अभी कुछ सदस्य फरार भी हैं जिनकी तलाश की जा रही है।

Monday, 24 July 2017

सांसद मोदी की योजनाओं में ‘करंट’ लगा रहा IPDS, बनारस में आज हुई सांड की मौत

बनारस। शहर में प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करने के लिए आईपीडीएस योजना साल 2015 से शुरू हुई है। यह योजना कितनी लाभदायक है काशी की जनता के लिए और कितनी नुकसानदेह इसकी पड़ताल करने के लिए टीम Varanasian ने भूमीगत बिजली वाले क्षेत्रों की पड़ताल की। हालांकि अधिकांश लोगों ने इस योजना को गलियों की बजाय मुख्‍य मार्ग तक ही सीमित रखने की बात कही है।

फाल्ट आने पर लगाने पड़ रहे हैं चक्कर
शहर का कबीर नगर एक ऐसी जगह है जहां सबसे पहले इस योजना का शुभारम्भ किया गया था। इस जगह को देखने के लिए खुद देश के प्रधानमंत्री और काशी के सांसद नरेंद्र मोदी भी पहुंचे पर अब इसी क्षेत्र के लोग इस नई योजना से परेशान दिखाई दे रहे हैं। कबीर नगर में स्क्रैप का काम करने वाले विजय कुमार अग्रहरी ने बताया कि आईपीडीएस के बाद हमें कनेक्शन मिलने के बाद एक दिन जब हमारी लाईट खराब हो गयी तो हमने पावर हाउस पर जाकर शिकायत की। इसपर वहां के अधिकारियों ने जवाब दिया कि जाइए आईपीडीएस के अधिकारियों से कहिये। इसके बाद आईपीडीएस के अफसरों से मनुहार करने पर दूसरे दिन बिजली नसीब हो सकी।


तो कभी भी उत्‍पन्‍न हो सकती है विकट स्‍थिति
बनारस के कश्मीरी मोहल्‍ले में भी इस योजना से लोग नाराज़ दिखे। दरअसल मोहल्ले में एक सांड भी आईपीडीएस के करंट की चपेट में आकर काल के गाल में समा गया। मोहल्ले वालों की शिकायत है कि यह एक संकरी गली है। इस गली में लोहे के खम्‍भों पर आईपीडीएस के कनेक्शन बाक्स लगाये गये हैं, उसमे कभी भी करंट आ जाता है। लोगों के अनुसार मोहल्ले में बच्चे भी हैं और बारिश में जलभराव में यदि करंट उतरा तो स्थिति भयावह हो सकती है।

मानक के अनुरूप नहीं हो रहा है कार्य
कश्‍मीरी मोहल्‍ले के स्थानीय निवासी अविनाश मिश्रा ने बताया कि योजना के अधिकारी पहले बहुत तेज़ी से इस कार्य को बेहतर तरीके से अंजाम दे रहे थे पर अब मानक के अनुरूप इसका कोई काम होता नहीं दिख रहा है। जिस वजह से जगह-जगह दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं। कुछ दिन पहले कबीर नगर में भी एक पालतू गाय की मौत हुई थी और आज एक बार फिर इस संकरी गली में सांड करंट का शिकार बना है।



Saturday, 22 July 2017

                   VNS LIVE STUDIO 
AddressHotel Varuna, 22 Gulab Bagh, Sigra, Varanasi, Uttar Pradesh 221002
Hours
Open today · 12–10:30PM
Phone0542 241 8524







Review summary

171 reviews
Baati Chokha Restaurant 
AddressAanand Mandir Cinema Hall, Telia Bagh, Near Telibagh, Chaukaghat, Varanasi, Uttar Pradesh 221002
Hours
Open today · 11AM–10:30PM
Phone0542 220 1010





Review summary

301 reviews
Tandoor Villa

Relaxed Indian restaurant also serving Asian dishes, from Afghani to Chinese, and Pakistani food.
Address: S-17/317 Nadesar Main Road, Near SBI ATM, Nadesar, Varanasi, Uttar Pradesh 221002
Hours: 
Open today · 12–11PM

Phone: 098399 11667






Review summary

142 reviews



60 व 70 की दशक में चीजों के मूल्य






चलिए आपको सपनों की दुनियां में ले चलते हैं |जिसे देख कर अाप आश्चर्य चकित  रह जाएगें|60 व 70 की दशक में चीजों के मूल्य देखकर आपको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होगा |खुद ही देख लीजिए| 👍👍


Friday, 21 July 2017

#BHUCampus to receive Piped Natural Gas (PNG)




Varanasi| Under PM Urja Ganga Scheme Hostels, Flats and Canteens will receive Piped Natural Gas for cooking. A MoU was signed between BHU Registrar Dr. Neeraj Tripathi and Zonal DGM Gail India limited Bhikhu Rathod, today.

#BHUBuzz #Update

Tuesday, 18 July 2017

डूबा-डूबा सा ज़िंदा शहर... बनारस!


बनारस की जिंदादिली सर्वत्र मशहूर है.. ये विश्व का अकेला ऐसा शहर है जहाँ जिंदगी के साथ मौत का भी उत्सव मनाया जाता है.. यानि बनारसी हर अच्छी-बुरी प्ररिस्थितियों को जश्न के रूप में हँसते-हँसते बिता देता है.. वर्ष भर अपनी मस्ती में डूबा रहने वाला बनारस इन दिनों गंगा के बढ़ रहे जल स्तर से डूबा-डूबा सा ज़रूर दिखाई पड़ रहा है लेकिन यहाँ किसी के हौसलों में कोई कमी नहीं नज़र आती.. हमेशा की तरह यह तीनों लोकों से न्यारा शहर मस्त है और व्यस्त है!
साभार-मनीष खत्री जी
#ॐ

आज बाबा के सबसे प्रिय सावन महीने के दूसरे सोमवार को बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी की कृपा से पेज के 19,000 लाइक्स हो गये। :)
इस खुशी में आज आप सब के लिए बाबा का सबसे प्रिय प्रसाद #ठंडाई पीजिए। :)
बाबा आप सब पर अपनी कृपा सदैव बनाएं रखें। :)

ॐ नमः पार्वती पते हर-हर महादेव।। 🙌🙏

#ॐ

Saturday, 15 July 2017

GST: आखिर व्यापारियों ने ढूंढ लिया चोर दरवाजा

टैक्स से बचने के लिए चेन्नै के एक दुकानदार ने एक जोड़ा जूते को अलग-अलग कर बेचना शुरू कर दिया है। वह इसके लिए
दो बिल भी बना रहे हैं। इसी तरह से एक गारमेंट्स विक्रेता ने डुपट्टा सलवार सूट से अलग बेचना शुरू कर दिया है। सालों तक एक बासमती चावल बेचने वाली कंपनी ने विज्ञापन देकर अपना ब्रैंड बनाया और अब उसने अपना ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन वापस लेने की तैयारी कर ली है। इस कंपनी ने व्यापारियों को उन ब्रैंड्स के लिए टैक्स छूट का दावा करने को कहा जिनका कोई ट्रेडमार्क नहीं है।

अपने प्रॉडक्ट को जीएसटी के अंदर टैक्स के दायरे से बाहर करने या फिर कम टैक्स के दायरे में लाने के लिए व्यापारी इनोवेटिव तरीकों पर निर्भर होने लगे हैं। ज्यादातर व्यापारी जीएसटी काउंसिल के ग्राहकों, खास तौर पर आम आदमी, को बचाने के प्रयासों का लाभ ले रहे हैं। 500 रुपये से कम के फुटवेअर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है जबकि उससे अधिक कीमत के फुटवेअर पर 18% टैक्स लगाया गया है। इसी तरह 1000 रुपये से कम कीमत के अपैरल्स पर 5% जीएसटी तय किया गया और उससे अधिक की कीमत पर 12% जीएसटी लगेगा।

टैक्स ऐंड रेग्युलेटरी पार्टनर (इनडायरेक्ट टैक्स) EY के पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा, ' संरचनात्मक दृष्टि से कीमतों के आधार पर अलग-अलग टैक्स से क्लासिफिकेशन डिस्प्यूट पैदा हो गया है और इसीलिए कई करदाता कम टैक्स वसूलने के तरीकों की तलाश करने लगे हैं।

इसी तरह कुछ खाद्य पदार्थों पर जीएसटी नहीं वसूला जाएगा। इसमें पनीर, नैचुरल हनी, आटा, चावल और दालों आदि शामिल हैं। ऐसे प्रॉडक्ट जो कंटेनर में आते हैं या फिर जो रजिस्टर्ड ब्रैंड्स हैं उनपर 5% जीएसटी लगाया गया है। सरकार व्यापारियों के इस कदम से चकित नहीं है। कम टैक्स दर का लाभ लेने के लिए प्रॉडक्ट्स में बदलाव करना अलग बात है और प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करना अलग बात।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, (जीएसटी काउंसिल) उद्देश्य यह नहीं था। अगर इस तरह के मामले ज्यादा बढ़े तो काउंसिल प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकती है। सपरा ने कहा, 'अगर जीएसटी रेट रजिस्टर्ड ब्रैंड के नाम के आधार पर निर्धारित किया जाना है तो कई ऐसे भी प्रॉडक्ट हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं लेकिन काफी पॉप्युलर हैं। जीएसटी रेट तय करने का आधार वस्तुगत होना चाहिए न कि भेदभावपूर्ण।'

जीएसटी के अंतर्गत टैक्स रेट अलग-अलग होने के कारण इसका दुरुपयोग संभव हुआ है। सरकार ने जीएसटी में 0,5,12, 18 और 28 फीसदी की दर से टैक्स के पांच नए टैक्स स्लैब निर्धारित किए हैं। केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारी जिन्होंने एक्साइज ड्यूटी में क्लासिफिकेशन डिस्प्यूट देखे थे वे वैल्यू के आधार पर अलग-अलग टैक्स रेट के समर्थन में नहीं थे।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नए साथियों के नाम खुला खत।




प्यारे साथियों,
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का हिस्सा बनने के लिए बधाई। आपमे से बहुत साथी अपने परिवार व समाज से लड़कर-भिड़कर यहाँ पहुँचे होंगे ये मै जानता हूँ और आपके संघर्ष को सलाम करता हूँ। लेकिन आपका संघर्ष अभी समाप्त नही हुआ है, इसे बचाये रखियेगा,क्यूंकि असल लड़ाई तो आपको अब लड़नी है।
विश्वविद्यालय हमपर बेहद ही चमत्कारिक असर डालता है और बहुत बार हमारे अंदर की रचनात्मकता को लील जाता है। कैंपस की भव्यता हमारे अंदर नकारात्मता को बढ़वा देती है जिसके सामने खुद को टिकाये रखना एक चुनौती बन जाती है। कब एक वैज्ञानिक सोच वाला छात्र दकियानूसी विचारधारा के लपेटे मे आ जाता है, पता नही चल पाता। कक्षा मे शिक्षकों की अनुपस्थिति,जातीय भेद-भाव, अलग सोंच वालो को जगह ना मिल पाना, हर स्तर पर चापलूसों की लंठई ,समय पर सिलेब्स पूरा न होना इत्यादि आपके आत्मविश्वास को हर वक़्त कमजोर करेगा।
वर्तमान समय आपके लिए और ज्यादा मुश्किलों भरा साबित होने वाला है। इस निजाम मे प्यार करने पर धारा 144 लागू है। अपने हक की आवाज उठाने पर पुलिसिया कार्रवाई होती है और राजनितिक सक्रियता तो आप भूल ही जाएँ। जब भी कुछ व्यवस्था के खिलाफ करने जाओगे तो आपके सामने संस्कार व संस्कृति की दीवारें खरी की जायेगी, आवाज उठाने पर डराया जायेगा आपको।
लेकिन जब भी डर लगे तो रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविता "वेयर द माइंड इज विदाउट फियर", पढ़ना, हिम्मत मिलेगी। जब भी दोराहे पर पहुँचो और रास्ता चुनने मे मुश्किल महसूस हो तो रोबर्ट फ्रॉस्ट की कविता "द रोड हैज नॉट बिन टेकेन" पढ़ना, चुनाव करना आसान हो जायेगा।
सीनियर होने के नाते मै कहूँगा आपसे की आप सारे बंदिसों को तोड़ कर प्यार करना,अपनी प्रेमिका के संग बिना किसी से डरे स्वछंद विश्वविद्यालय की हर सड़क पर घूमना, गंगा घाट जाना,नौका विहार करना, गंगा मे पैर डाल घंटो बाते करना,अस्सी पर मौजूद दादा की चाय दूकान की चाय पिलाना,आपको वहाँ पर भक्ति काल से मोदी काल तक कि कहानियां मिल जाएंगी और बीच मे कुछ 'लाल सलाम' वाले देश से आपको मिलवाते रहेंगे, आगे पहलवान की लस्सी बड़ी लजीज होती है और वही सामने विश्वप्रसिद्ध केशव पान भंडार की दिव्य गुलकंद वाला पान भी खाना, ये सब करना क्योंकि वर्तमान सामाजिक ढांचे मे प्यार भी संघर्ष है और ये आपको बताएंगी की अभी आप जिन्दा हैं।
साथियों, हम जिस समाज से आते हैं वहां सफलता का मतलब एक क्लर्क की नौकरी होती है लेकिन आप अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करना,खूब पढ़ना, गांधी,अम्बेडकर,फूले,भगत सिंह, नेहरू,पटेल,गोलवालकर,जिन्ना से शुरू कर ची ग्वेरा,फिदेल कास्त्रो,मंडेला,मार्टिन लूथर,कार्ल मार्क्स,लेनिन,रूसो,पाश,आइंस्टीन, चारु मजूमदार, स्टीफेन हॉकिन्स, जंगल संथाल, सर्वेश्वर दयाल,धूमिल,मुक्तिबोध,गोरखनाथ,लोर्का,महाश्वेता देवी, इत्यादि सब को पढ़ना,कुछ नया खोजना,रचना और खो जाना।

 मोहनजोदड़ो के इतिहास से चलते हुए मेसोपोटामिया तक पहुँच जाना और हाँ बीच मे बेबिलोनिया की कराहती हुई सभ्यता पर भी मरहम लगा देना। कान्हा के वनो से लेकर सवाना के जंगलो तक की खाक छानना । बनारस के जुलाहों का दर्द बाटना, जानने की कोशिश करना की क्यों पलायन करते हैं बिहारी मजदूर, महाराष्ट्र मे आत्महत्या के मुहाने पर खड़े किसानो को हिम्मत देना,लखनऊ के नवाबों से भले ना मिलो लेकिन कानपुर के कामगारों के दर्द को जरूर महसूस करना, बंगाल के बंद पड़े मीलों के दरवाजे पर बैठे दरबान से उस कवि का पता जरूर पूछ लेना जिसने लिखा है की "अब क्यूँ बंगाल नही आते बिहारी मजदूर"? चले जाना 1984 के दंगा पीड़ितों के घर और अगर बीच रास्ते में मुजफ्फरनगर, मथुड़ा, भिवंडी, हाशिमपुरा, मुम्बई, मुजफ्फरपुर में गोधरा टहलता हुआ मिले तो पूछ लेना अपने हीं मुल्क में विस्थापित जिंदगी जीने का दर्द! हो सके तो इस पारंपरिक समाजिक ढाँचे के खिलाफ संघर्षरत महिलाओं से मिल आना। कुछ गोबर पाथती,कुछ परिवार की गाड़ी को खिचतीं, हाँथ मे बंदूक लिए, स्याही से दुनिया रचती, हुक्ममरानो के खिलाफ आवाज उठातीं, फूटपाथ पर दातुन बेचतीं,घरो में,सड़को पर, मणिपुर के सुदूर गांव से लेकर बीहड़ो तक क्रांति का अलख जगाये मिलेंगी, उनके हाँथ की बनी रोटी खाना,सम्मान मे नतमस्तक हो जाना और हो सके तो कुछ देर उनसे लिपट कर रो लेना। ये सब करना क्योंकि ऐसा कर आप जिंदगी के दर्द को महसूस करेंगे,सामाजिक ठहराव को गतिशील बनाएंगे,सामाजिक व आर्थिक भेदभाव को समझ उसके खिलाफ आवाज उठाएंगे और अपने धर्म व जाती से परे मानवता की लड़ाई लड़ेंगे। जो शिक्षा समाज व सरकार से कड़े सवाल पूछने को प्रेरित ना करे,उसमे बदलाव की बात ना करे,वो शिक्षा बेकार है।
आखिर मे एक प्रमुख बात ये की पूरे सफर मे आप ये कभी मत भूलना की देश के गरीब,मजदूर के टैक्स का पैसा आपकी पढा

बीएचयू की छात्रा ने लद्दाखी चोटी पर लहराया तिरंगा

वाराणसी : 17 साल बाद समुद्र तल से 18 हजार फीट ऊंची लद्दाखी चोटी पर लड़कियों के दल ने तिरंगा फहराया है। एनसीसी ग‌र्ल्स माउंटेन¨रग प्रतियोगिता के तहत देश के विभिन्न हिस्सों से जुटी 18 छात्राओं ने इस लक्ष्य को प्राप्त किया। इस टीम में उत्तर प्रदेश की इकलौती छात्रा कैडेट काजल पटेल भी शामिल थी। मीरजापुर में मड़िहान थाना क्षेत्र के हिनौती गांव निवासी संतराम सिंह की बेटी व 7 यूपी एयर स्क्वाड्रन एनसीसी (बीएचयू) की कैडेट काजल ने इस कामयाबी से पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है।
20 छात्राओं का हुआ था चयन
इस चोटी पर चढ़ने के लिए 20 छात्राओं का चयन किया गया था। इनमें से दो छात्राओं को अस्वस्थ होने के कारण दिल्ली से ही लौटना पड़ा। बीएचयू में विंग कमांडर मानव कुमारिया, जूनियर वारंट आफिसर सतीश कुमार व मृत्युंजय कुमार के नेतृत्व में काजल ने तैयारी की थी। दल ने सबसे पहले नौ हजार फीट ऊंचाई का लक्ष्य साधा। इसके बाद 12.5 हजार फीट की ऊंचाई पर पहला बेस कैंप पार किया गया फिर 15.6 हजार फीट पर कैंप लगा। यहां से 18 हजार फीट तक की ऊंचाई तय करने में छह दिन लगे। दस मई से 16 जुलाई तक के इस अभियान में एक जुलाई को छात्राओं का दल लद्दाखी चोटी पर पहुंचा था।
विकट परिस्थितियों का सामना
यात्रा के दौरान कैडेट्स को बारिश सहित तमाम विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद छात्राओं ने 18 हजार फीट या 5345 मीटर ऊंचाई पर परचम लहराया। विंग कमांडर के अनुसार कैडेट्स लद्दाख से लौटकर दिल्ली आ गई है। काजल 17 को यहां आएगी तब उसे सम्मानित किया जाएगा।

टैक्स भुगतान में बदलाव संग व्यापार होगा आसान

वाराणसी : जीएसटी को लेकर उद्यमी और व्यापारियों में असमंजस दूर करने के लिए शनिवार को दी इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट आफ इंडिया की वाराणसी शाखा की ओर से छावनी क्षेत्र स्थित एक होटल में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट ने व्यापारियों की शकाओं का समाधान किया। दिल्ली से आए मुख्य वक्ता सीए आशु डालमिया ने जीएसटी की संरचना के बारे में जानकारी दी। कहा कि जीएसटी से केवल टैक्स भुगतान की प्रणाली में नहीं बदलाव होगा वरन व्यापार भी आसान होगा।
उन्होंने कहा रिटर्न भरने में कोई दिक्कत न हो इसके लिए वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद भी रिकार्ड रखना जरूरी है। बताया कि 20 लाख से कम टर्नओवर पर टैक्स नहीं देना होगा लेकिन दूसरे राज्य में बिक्री करने पर जीएसटी लगेगा।
करदाताओं को कोई दिक्कत नहीं
विशेषज्ञों ने कहा पेनाल्टी से ईमानदार करदाताओं के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी। तकनीकी गलतियों और धोखे में अलग-अलग कार्रवाई होगी। पुराने स्टॉक की आइटीसी पाने के लिए छह माह में उसे बेचना होगा। कार्यक्रम में कई कारोबारियों ने शकाओं का समाधान भी किया।
विशेषज्ञों ने बताया कि छोटे व्यापारियों को जीएसटी से विशेष छूट दी गई है। 75 लाख तक कारोबारी समाधान लिया जा सकता है। डेढ़ करोड़ तक का कारोबार करने वालों को एचएसएन कोड नहीं देना है। डेढ़ से पाच करोड़ तक दो अंक का एचएसएन का चैप्टर कोड डालना है।
आइसीडीएस के अनुसार होगी गणना : इसके पूर्व आइसीडीएस पर आयोजित सेमिनार में इंदौर से आए सीए पंकज शाह ने कहा कि एक अप्रैल से इनकम टैक्स कंप्यूटेशन एंड डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड लागू किया गया है। नई व्यवस्था में रिटर्न भरते समय टैक्स की गणना आइसीडीएस के तहत होगी। सेमिनार में सीए राजीव सिंह, मुकेश सिंह कुशवाहा, बृजेश जायसवाल, जीडी दुबे आदि थे। सत्र का शुभारंभ एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल सेठ, अध्यक्षता पूर्व अध्यक्ष मनोज अग्रवाल और संचालन संजीव श्रीवास्तव ने किया।

विश्व की 60 हजार व भारत की 200 से अधिक शिक्षण संस्थानो से जुड़ा BHU

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में एडूरोम (एजुकेशनल रोमिंग) की सुविधा का शुभारम्भ आज कुलपति प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने किया। विश्व की 60 हजार शिक्षण संस्थाएं एवं भारत की 200 से अधिक शिक्षण संस्थाएं एडूरोम की सदस्य है। बीएचयू भी इसका सदस्य बन गया है। विश्व के 60 हजार शिक्षण संस्थाओं में जब बीएचयू का कोई भी शिक्षक, अधिकारी व छात्र जाता है तो वह बीएचयू द्वारा दिए गये लागइन व पासवर्ड से ही बिना किसी खर्च के इण्टरनेट सुविधा का लाभ ले सकता है।

Thursday, 13 July 2017

Getting Around Varanasi

Most of the places to visit in Varanasi are situated in and around the Varanasi ghats which can be accessed on foot. Boat trips along the Ganges are a great way to see the ghats from the water; you can also get to Ramnagar Fort by boat. If you want to go further afield, there are auto rickshaws that ply around Varanasi and can be picked up near the Archway at the end of Bengali Tola. It is advisable to get a return trip with them as they tend to charge double for a single trip (as they usually return empty).

Varanasi Festivals & Events

It is worth scheduling a visit to Varanasi during one of their fairs or festivals that are held on a grand scale as the city is the most colourful and liveliest at this time. Be prepared for throngs of tourists, both local and foreigners, during this time.
  • Makara Sankranti during January and Basant Panchami during January-February are the popular festivals celebrated in Varanasi.
  • Maha Shivaratri held during February-March is a very special religious festival in Varanasi. It is marked with many rituals and festivities all through Varanasi and is a good time to explore the local culture of the city.

10 Interesting Facts About Varanasi

  1. Varanasi has been known at various times in history as Benares or Kashi, “City of Light”
  2. Varanasi is one of the most sacred cities in the world today
  3. It is a crumbling maze of a city that rises from the ghats (steps) on the western banks of the Ganges
  4. Varanasi is named after the confluence of two rivers, Varuna and Asi
  5. Varanasi is seen by devotees, as the holiest of Indian pilgrimages, home of Shiva, where the devout come to wash away their sins
  6. It is also one of the holiest tirthas (literally a “crossing” or sacred place where mortals can cross over to the divine, or the gods and goddesses come to bathe on earth), where many return to die in the hope that they may achieve moksha, the salvation of the soul from the cycle of birth, death, and rebirth
  7. Mark Twain famously described Varanasi as “older than history, older than tradition, older even than legend, and looks twice as old as all of them put together”
  8. Varanasi is centered on the ghats that line the waterfront, each honoring Shiva in the form of a linga—the rounded phalliclike shaft of stone found on every ghat
  9. Pilgrims come to the Varanasi ghats lining the River Ganges to wash away a lifetime of sins in the sacred waters or to cremate their loved ones
  10. Varanasi is the quintessential India – colourful, chaotic, dirty, overwhelming, and yet magical

ऐ राजा बनारस !

रोज़ देखा जाने वाला, कहा जाने वाला, सुना जाने वाला लिखा जाने वाला और इन सबसे ऊपर जीया जाने वाला शहर है । इसकी इतनी परिभाषाएँ और व्यंजनाएं हैं कि यह शहर हर लफ़्ज़ के साथ कुछ और हो जाता है । लिखनेवाले की गिरफ़्त से निकल जाता है । मैं बनारस के ख़िलाफ़ किसी बनारस को खोजने निकला था मगर हर जगह मिला उसी बनारस से जिसे मीडिया ने एक टूरिस्ट गाइड की तरह एकरेखीय वृतांत में बदल दिया था । वृतांतों का रस है बनारस । 

दरअसल बनारस कोई शहर ही नहीं है । यह कभी था न कभी है और कभी रहेगा । शहर होता तो किसी पेरिस जैसा होता किसी लुधियाना सा होता या किसी दिल्ली सा । सड़कों दीवारों से बनारस नहीं है । बनारस है बनारस के मानस से । आचरण, विचरण और धारण से । जो भी मिला बनारस को धारण किये मिला । बनारसीपन । इसके बिना तो कोई बाबा विश्वनाथ को देख सकता है न  बनारस को । यह बनारस का होकर बनारस को जीने का शहर है । यह न मेरा है न तेरा है न उसका है जो बनारस का है ।

बहुत कम हुआ जब लौट आने के बाद किसी शहर की याद आई । किसी शहर में जागने सा अहसास हुआ । सोचता रहा कि क्या लिखूँ बनारस पर । क्या नहीं लिखा जा चुका है । इस शहर के लोग किसी दास्तान की तरह मिलते हैं । क़िस्सों से इतने भरे हैं कि सुनाते सुनाते ख़ुद किसी किस्से में बदल जाते हैं । मिलने और बोलने का ऐसा रोमांच कहीं और महसूस नहीं हुआ । जो भी मिला उसे जितना मिलना चाहिए उससे ज़्यादा मिला । कम तो कोई मिला ही नहीं । कम तो हम दिल्ली वाले मिले । सोचते रह गए कि कितना मिले और सामने वाला पूरा मिलकर चला गया । बनारस को खोजना नहीं पड़ता है । कहीं भी मिल जाता है ।

हम बाबा ठंठई की दुकान पर थे । उनकी शान में क़सीदे पढ़ते रहे कि हर साल आपकी ठंडई एक मित्र से बुज़ुर्ग के हवाले से दिल्ली पहुँच जाती है । पिछले कई सालों से आपकी ठंडई पी रहा हूँ । कोई चालीस पचास साल से ठंडई बना रहे जनाब ने ऊपर देखा तक नहीं कि कौन है क्या बोल रहा है । बस किसी साधना की तरह ठंडई बनाने में लगे रहे । साधना ज़रूरी है । चाहे आप देश चलायें या ठंडई बनाये । मगर वही खड़ा किसी शख़्स ने किसी को भेजकर पान मँगवा दिया । लस्सी की दुकान का पता बता दिया । कार से गुज़रते वक्त पान और चाय की दुकानों पर लोगों को जमा देखा । रूककर खाकर बतियाते देखा । लगा कि इस शहर में लोग दफ़्तर दुकान जाने के अलावा भी घर से निकलते हैं । सुबह सुबह चाय पीने गया था । बस किसी ने किसी को कह दिया कि बाइक से इन्हें पार्क तक छोड़ आओ । बिना देखे बिना जाने उसने चाय छोड़ी और पार्क तक छोड़ आया । जिन्हें भी जीवन में बात करने की समस्या है । लगता है कि वो तर्क नहीं कर पाते । वो बनारस चले जायें । बोलने लग जायेंगे । ख़ासकर टीवी के ये बौराये और झुँझलाये एंकरों को हर साल बनारस जाना चाहिए ।

रेडियो मिर्ची के दफ़्तर गया था । नौजवान जौकियों के संसार में । बात करने की ऐसी शैली कि मेरा बस चले तो हर जौकी बनारस की सड़कों से उठा लाऊँ । सबके पास कुछ न कुछ अतिरिक्त था मुझे देने के लिए । आज के इस दौर में उनके पास बहुत सी गर्मजोशियां बची हुई है । जल्दी समझ गया कि यह टीवी में दिखने के कारण नहीं है । जो प्यार बह रहा है वो बनारस के कारण है । मिर्ची के इन मिठ्ठुओं से 
मेरा भी दिल लग गया । तोते की तरह बोलता था वो मोटू ! तो शांत सँभल कर अमान और रह रहकर सोनी । एक से एक किस्सागो । बात बात में मैं विशाल के साथ लाइव हो गया । उनके कुछ और दोस्तों से मुलाक़ात हुई । हर मुलाक़ात में मैं बस इस शहर के लोगों में मिलने की फ़ितरत देख रहा था । कितना मिलते हैं भाई । भाइयों ने मेरी शान में दफ़्तर के भीतर चाट का एक स्टाल ही लगा दिया । टमाटर की चाट । वाह । दिल्ली वालों को पता चल गया तो हर नुक्कड़ और बारात में बेचकर खटारा बना देंगे । 
मुझे पता है कि जितना मिल जाता है उतना लायक नहीं हूँ । वैसे भी क्या करना है हिसाब कर । टीवी के फ़रेब के नाम पर प्यार ही तो मिल रहा है । मैं माया में यक़ीन करता हूँ । सब माया है । माया मिलाती है, माया रूलाती है और माया हंसाती है । घड़ी की दुकान में स्ट्रैप बदलवाने गया था । जनाब ने कोई स्पेशल जूस मँगवा दी । कहा कि पीते जाइये । ज़ोर देकर कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप पीयें । ये बनारस का असली है । मैंने तो कहा भी नहीं था पर वो यह जूस पिलाकर काफी ख़ुश दिखे । इतने ख़ुश कि लाज के मारे शुक्रिया कहते न बना ।

वो पता नहीं कौन लड़का था । लंका चौक पर जहाँ बीजेपी का धरना चल रहा था । भयानक गर्मी थी । वो पहले जूस लाया फिर पार्कर पेन ख़रीद लाया खुद ही पैकेट से निकाल कर जेब में रख गया । किसी चैनल के फ़्रेम में देखकर वो महिला अपने पति और बेटी के साथ दौड़ी चली आई । हांफ रही थी । वो घर ले जाकर खाना खिलाना चाहती थी । काश मैं चला गया होता । और वो कौन था जो मिर्ची दफ़्तर के बाहर हम सबकी चाय के पैसे देकर चला गया । आठ दस लोगों की चाय के पैसे । मैं सोचता रह गया कि हमने कब किसी अजनबी के लिए ऐसा किया है । उफ्फ ! 

अजीब शहर है कोई ख़ाली हाथ मिलता ही नहीं है । ऐसा नहीं कि मैं टीवी वाला हूँ इसलिए लोग मिल रहे थे । मुझसे मिलने के बाद वहाँ मौजूद किसी से वैसे ही मिल रहे थे । हम दिल्ली वाले मिलना भूल गए हैं । काम से तो मिलते हैं मगर मिलने के लिए नहीं मिलते हैं । रोज़ दफ़्तर से लौटते वक्त ख़ाली सा लगता हूँ । अब तो मेरा एकांत ही मेरी भीड़ है । मैं भी तो कहीं नहीं जाता । जाने कब से अकेला रहना अच्छा लग गया । ग़नीमत है कि फेसबुक ट्वीटर है । जो भी अकेले में बड़बड़ाता हूँ लिख देता हूँ । अकेले बैठे बैठाए दुनिया से मिल आता हूँ । काम और शहर के अनुशासन की क़ीमत पर मुलाक़ात का बंद होना ठीक नहीं । हम मिलते तो यहीं बनारस बना देते । बनारस एक दूसरे से मिलता है इसलिए बनारस है । दिल्ली के नाम में तो दिल है मगर दिल है कहाँ । दिल्लगी है कहाँ और कहाँ है दीवानगी । बनारस में है । वहाँ के लोगों में है । आप सबने मुझे बेहतरीन यादें दी हैं । मैं बनारस को याद कर रहा हूँ ।